Intracytoplasmic Sperm Injection (ICSI Treatment)

ICSI अथवा इन्ट्रासाइटोप्लाकामिक शुक्राणु इंजैक्शन जनन इलाज है, जिसे आमतौर पर IVF (इनविट्रोफर्टीलाइकोशन) के साथ जोड़ा जाता है। यह पुरुषों के अंदर बांझपन के कारणों का एक सफल इलाज का विकल्प है और इसे प्रत्येक IVF ट्रीटमैंट के मध्य बीच में प्रयोग किया जाता है। गोडियम आई.वी.एफ. और गाइनी हल केन्द्र में जनन विशेषज्ञों ने जो भारत में बांझपन का बढिय़ा इलाज करवाना चाहते हैं, उन हजारों लोगों का ICSI ट्रीटमैंट किया है।

जबकि पहले कई प्रकार के नर बांझपन की परिस्थितियों में उन्हें शुक्राणु दानी का आश्रय लेना पड़ता था और ICSI ट्रीटमैंट, यहां तक कि शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होने के बावजूद किसी नर सहभागी के शुक्राणुओं में से स्वस्थ शुक्राणु चुनना और उनका प्रयोग करना सम्भव बनाता है। ICSI-IVF चक्कर द्वारा जन्मे बच्चे, जहां पिता के शुक्राणु प्रयोग किए जाते हों, इस कारण वंशज के तौर पर दोनों मां और बाप से जुड़े होते हैं जबकि शुक्राणु वंशज का प्रयोग किया जाता है।

अक्सर ICSI, IVF का एक आवश्यक रूप है जबकि किसी विशेष IVF चक्कर में शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में प्लेट में अंडों के पास रखा जाता है और निषेचन करवाया जाता है। ICSI विधि वहां प्रयुक्त होती है जब एक स्वस्थ शुक्राणु चुना जाता है और सीधा ही तैयार अंडे में डाल दिया जाता है। यह बहुत कोमल विधि है और किसी उपकरण युक्त प्रयोगशाला में किसी विशेष विशेषज्ञ और योग्यता प्राप्त भ्रूण विशेषज्ञ द्वारा की जानी चाहिए।

एक बार जब आपका बांझपन का इलाज सम्पूर्ण हो गया, आपका डाक्टर निम्नलिखित स्थितियों में आपको ICSI का निर्देश देगा।

  • जब शुक्राणु संबंधी कोई परेशानी होने के कारण बांझपन हो-शुक्राणुओं की कम गिनती, खराब गुणवत्ता, शुक्राणुओं की कम गतिशीलता, खराब आकार वाले शुक्राणु अथवा शुक्राणु की उपस्थिति संबंधी अन्य समस्याएं।
  • जब काफी स्वस्थ शुक्राणु तो पैदा हों परन्तु प्रजनन अंगों में से उनके बाहर आने में रुकावट हो।
  • अगर दम्पति किसी शारीरिक अथवा मैडीकल/डाक्टरी कारण की तरफ से संसर्ग क्रिया न कर सके।
  • एक लिंगी दम्पति अथवा एक मां/बाप के लिए IVF ट्रीटमैंट शुक्राणु दानी के साथ करवाने की सलाह दी जाती है।

ICSI ट्रीटमैंट की विधि

पूरे ICSI ट्रीटमैंट के चक्कर में 4 से 6 सप्ताह लगते हैं। यह अंडोत्सर्ग की स्थापना से शुरू होता है, अंडकोष को अधिक अंडे छोडऩे के लिए तैयार करने के लिए जनन दवाइयां दी जाती हैं। एक बार जब अंडे तैयार हो जाते हैं और सुधार किए जाते हैं, तब दोनों साथियों को क्लीनिक में रख कर एक विशेष प्रक्रिया की जाती है।

प्रकिया वाले दिन नर साथी के ताको वीर्य का नमूना लिया जाता है, अगर वीर्य को बाहर निकालने में परेशानी हो, तब अंडकोष की थैली को सर्जरी द्वारा एकत्र कर लिया जाता है। भ्रूण संबंधी ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञ किसी स्वस्थ शुक्राणु का चुनाव करते हैं और फिर उसे तैयार करते हैं और फिर अंडकोष में सुधरे हुए किसी अंडे में डाल देते हैं।

निषेचन के लिए दो अथवा 3 दिन लगते हैं। निषेचन से 5 दिन बाद, तैयार भ्रूण को गर्भकोष में एक विशेष लचकदार नली जिसे सलाई कहा जाता है, के साथ रख दिया जाता है। गोडियम आई.वी.एफ. में सारी प्रक्रिया किसी विशेष संक्रमण रहित, उपकरणों युक्त दृढ़ इंटरनैशनल प्रोटोकोल द्वारा की जाती है।

कुछेक स्थितियों में आपके जनन माहिर एक से अधिक भ्रूण प्राप्त करने के लिए कई अंडों पर ICSI ट्रीटमैंट करेंगे। आप अगले समय में गर्भधारण करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूणों को ठंडा करके जमा कर रखने का चुनाव भी कर सकते हो।

एक बार जब भ्रूण स्थापना सम्पूर्ण हो जाए, तब यह प्रकृति का काम आरंभ हो जाता है और गर्भधारण करने के चिन्हों की प्रतीक्षा आरंभ हो जाती है। अगली माहवारी न आना, इस बात का चिन्ह है कि गर्भधारण हो गया है, जिसे गर्भधारण की जांच की किट द्वारा पक्का पता किया जा सकता है।

यदि आपको किसी दूसरी राय की आवश्यकता है तो भारत के बढिय़ा IVF केन्द्रों में से IVF ट्रीटमैंट के बारे में सोच रहे हो तो गोडियम आई.वी.एफ. में उपस्थित विशेषज्ञ आपके प्रश्नों का उत्तर देने में प्रसन्नता अनुभव करेंगे और निर्णय लेने में आपकी सहायता करेंगे।