केस स्टडी

गोडियम में हम और अधिक आधुनिक प्रजनन तकनीकों को हरेक इन्सान के प्रोटोकोल के साथ अपने रोगियों के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के प्रयास करते हैं, जिनमें से कइयों ने तो कभी भी मां-बाप बनने की उम्मीद छोड़ दी थी।

हम आपको यह बात बताने में खुशी अनुभव करेंगे कि हमने परिवार बनाने में मदद करके विजय प्राप्त की है और संसार में दम्पतियों के जीवन को आनन्द से भर दिया है। हम उन रोगयों के बहुत धन्यवादी हैं, जिन्होंने अपने अनुभव हमारे साथ सांझे करने में खुशी अनुभव की, जो इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे थे।

Gaudium चमत्कारी बच्चे जो 15 असफल IVF चक्रों के बाद पैदा हुआ

गोडियम चमत्कारी बच्चे के नाम से, यह बच्चा 15 IVF चक्करों (1 UK में 14 भारत में) असफल होने के बाद गोडियम में पहली बार प्रयास करने पर ही सफलतापूर्वक ने जन्म लिया। श्रीमती सफला रानी भाटिया, आयु 55 वर्ष ने भारत के कई प्रसिद्ध और बाहरी देशों के कई क्लीनिकों में कई बार असफल जनन इलाज करवाया था, जिस कारण वह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर नहीं सकती थी। दिल्ली के गोडियम IVF में उसका स्नस्॥ FSH (Follicle Stimulating Hormone/LH Luteinizing Hormone) का अनुपात कई वर्षों से PCOS करके बिगड़ा हुआ था। Customised Protocol के एक भाग की तरह, एक Endometrial स्क्रैच डाला गया और भ्रूण की/बदली से 48 घण्टे पहले Embryo Glue (भ्रूण के लिए गोंद) डाली गई। यह पड़ाव इसलिए लिया गया, क्योंकि रोगी अच्छा भ्रूण होने के बावजूद पिछले समय में पहले कई आरोपण असफल हुए थे। इस कारण यह भ्रूण को ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया गया था। उसका ब्लड प्रैशर और शुगर भी अधिक रहते थे, उनका भी इलाज किया और उसके हार्मोनों को संतुलित बनाए रखने के लिए हार्मोन थैरेपी भी दी गई। इन सारे मापदण्डों के बाद सफला रानी ने 2014 में IVF द्वारा एक स्वस्थ लडक़े को जन्म दिया।

*Endometrial scratch (एण्डोमैटरीयल स्क्रैच)-: एण्डोमैट्रीयम को एक पतली लचक वाली बांझपन की नली (कैथेटर) द्वारा (रगड़ा) जाता है ताकि भ्रूण आरोपण को ग्रहण कर सके।

**Embryo glue (भ्रूण गूंद) : एक विशेष डाक्टरी गूंद जो भ्रूण आरोपण में भ्रूण को मूत्राशय की दीवारों (Endometrium) के साथ चिपका कर रखती है।

12 वर्षों के बांझपन के साथ 14 cm रेशेदार ट्यूमरों के साथ कई बार IVF चक्करों के असफल होने के बाद रेशेदार ट्यूमरों को बिना हटाये सफलतापूर्वक गर्भधारण कर लिया है। इस रोगी की पहली mycomectomy को हटाने के लिए सर्जरी की गई और 3-4 असफल IVF चक्कर करवाए। उसकी Mycomectomy के कुछ वर्षों के बाद रेशेदार ट्यूमर दोबारा फैल गए। जब वे Gaudium IVF पहुंचे, तब डा. मनिका खन्ना और उसकी टीम ने उनकी मैडीकल जांच की अच्छी तरह जांच की और निर्णय लिया कि रेशेदार ट्यूमर (Fibroid) हटाने से आगे नहीं बढ़ेगी, क्योंकि (Fibroid) एण्डोमैट्रीयल कैविटी में नहीं जाते थे। रोगी के असफल IVF चक्कर के लिए, डा. खन्ना और उनकी टीम ने ध्यानपूर्वक अल्ट्रासाऊण्ड करने के बाद अच्छी योजना बना कर भ्रूण स्थापित किया। मरीका ने 35 सप्ताह बाद एक स्वस्थ लडक़े को जन्म दिया।

कोरिया में 4 बार असफल IVF के बाद कोरियन रोगी की सफलता

जिमिन, एक 41 वर्षीय कोरिया की औरत अपने 4 असफल IVF चक्करों के बाद गोडियम आई थी। रोगी का 6 बार गर्भपात हो चुका था। स्वस्थ भ्रूण की पहचान करने के लिए और उसके भ्रूण की ग्रहण सामथ्र्या बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान की कारूरत थी। भ्रूण स्थापित करने से पहले विशेषकर उसके आरोपण को कायम रखने के लिए Embryo glue 48 घण्टे पहले डाली गई थी। पूर्व प्रयास में ही रोगी ने गर्भधारण कर लिया और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

पूर्वी अफ्रीका में काफी रेशेदार ट्यूमरों की स्थिति में सफल IVF

पूर्वी अफ्रीका का एक दम्पति काफी अधिक फर्टीलिटी इलाज करवाने के बाद गोडियम पहुंचा। gaudium में मरीज ने प्रथम प्रयास में ही गर्भधारण कर लिया और 2016 के आरम्भ में 4 स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। रोगी के शरीर में से रेशेदार ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की गई, वह multiple fibroids से ग्रस्त थी। डा. मनिका खन्ना और उनकी टीम ने surgical Intervention को दूर किया और अल्ट्रासाउण्ड निर्देशों की सहायता से ध्यानपूर्वक भ्रूण स्थापित किया गया। यह रोगी 4 सुन्दर बच्चों को लेकर अपने घर गया।

12 असफल चक्करों के बाद सफल जुड़वां बच्चों का जन्म

रोगी 12 असफल IVF चक्करों के बाद हमारे श्रीनगर के कैंप में पहुंचा। उसने गोडियम में सफल ढ्ढङ्कस्न प्रयास के पश्चात् एक जुड़वां का गर्भधारण किया। इस रोगी के केस में Recombinant Ganadotropins (फर्टीलिटी मैडीकेशन/जनन की दवाइयों) का प्रयोग एक Elara Protocol बन गया। Flare Protocol एक विशेष प्रोटोकोल है, जो कमकाोर गर्भाशय उत्तेजना वाले रोगियों में) स्थापित करने से पूर्व लेकार की सहायता से अण्डा तैयार करने की विधि है, का प्रयोग किया गया। इन सब चरणों के पश्चात सफल गर्भधारण हुआ और स्वस्थ जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ।