भारत में, दिल्ली में एंडोमैट्रायोसिस ट्रीटमैंट

एंडोमैट्रायोसिस वह स्थिति है जिसमें वह ऊतक जो आमतौर पर गर्भकोष से बाहर पनपने लगता है। चाहे यह एक ही हो, गर्भकोष से बाहर एंडोमैट्रीयल का बढऩा अंडों, के कार्यों और फैलोपियन ट्यूबों के कार्य को प्रभावित करता है और बांझपन होता है।

कम स्तर के एंडोमैट्रोयोसिस वाली स्त्रियों को गर्भपात में मुश्किल होती है। अधिक एंडोमैट्रायोसिस स्थिति वाली स्त्री के अंदर, बांझपन प्रजनन अंगों पर एंडोमैट्रीयल ऊतकों की खराब क्रिया के कारण होता है। एंडोमैट्रोयोसिस के साथ Estrogen का स्तर बढ़ता है, जिससे प्रजनन पर प्रभाव पड़ता है।

आप एंडोमैट्रायोसिस से ग्रस्त हो, के लक्षण :

  • माहवारी समय अत्यधिक रक्त स्त्राव
  • योनि के क्षेत्र और पीठ के निचले भाग में दर्द
  • संसर्ग क्रिया के दौरान दर्द
  • माहवारी के बीच में दाग लगना
  • बहुत अधिक मोटापा
  • शौच समय दर्द और बेअरामी
  • नियमित और बिना परहेज के भी संसर्ग क्रिया करने के बाद भी गर्भधारण न होना।

यह नोट करो कि प्रत्येक औरत में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं।

डा. मनिका खन्ना द्वारा एंडोमैट्रायोसिस का इलाज बांझपन

विशेषज्ञ डा. मनिका खन्ना ने बांझपन संबंधित एंडोमैट्रायोसिस के कई केसों में सफलतापूर्वक इलाज किया है। उनका एंडोमैट्रायोसिस का इलाज करने का अनुभव लगभग दो दशकों से अधिक का है और सारे संसार में बांझपन के कई रोगियों और एंडोमैट्रायोसिस के रोगियों को लाभ मिला है।

एक स्टेज III एंडोमैट्रयोसिस का एक विशेष केस, जिसको विशेष बताने की कारूरत है। डा. मनिका खन्ना और उनकी टीम द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया गया।

जब प्रथम बार Gaudium IVF पहुंची तो यस्मीन 29 वर्ष की थी और शादी को 8 वर्ष से अधिक समय हो गया था पर कभी गर्भधारण नहीं हुआ था। उनकी जांच करने पर पता लगा कि 3-3 सेमी के रेशेदार ट्यूमर अंदर, स्टेज IVF एंडोमैट्रायोसिस के साथ है। उसने पहले दो बार लैप्रोस्फोपिक सर्जरी करवाई पर दुर्भाग्य से हर बार उसके एंडोमैट्रायोसिस दोबारा उग जाते। Gaudium में उसके दोनों तरफ 6-8 सेमी एंडोमैट्रायोसिस परत होने के कारण इलाज किया गया। उसके मैडीकल हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए डा. खन्ना व उनकी टीम ने निर्णय किया कि उसकी सर्जरी न की जाए और उसे अकेली दवाई Gonadotropin Releasing Hormone जाए, जिसके पश्चात् IVF किया गया। रोगी को बिल्कुल प्रथम प्रयास में ही गर्भधारण हो गया और उसने गोडियम में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

एंडोमैट्रायोसिस का इलाज प्रत्येक रोगी पर निर्भर करता है और उसकी स्थिति पर भी। रोगी का मैडीकल और प्रजनन इतिहास व इलाज के लक्ष्य पर भी निर्भर करता है।

  • थोड़ी बहुत एंडोमैट्रायोसिस में, पहला इलाज है दवाइयों द्वारा हार्मोनों का संतुलन बनाए रखना।
  • बहुत कम है मध्यम एंडोमैट्रीयम वृद्धि में तंतु के चिन्ह को खत्म करने के लिए कुछेक रोगियों में लैप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
  • बहुत अधिक (स्टेज द्ब1) एंडोमैट्रायोसिस जिसका कोई इलाज नहीं है, एक लैप्रोस्कोपी सर्जरी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी) है जो कि जाती है। यह दुर्लभ है और उन रोगियों की की जाती है जिनके पहले बच्चे हों।

यदि आप अच्छी गुणवत्ता की जनन रक्षा की खोज में भारत में किसी बढिय़ा IVF केन्द्र को खोज रहे हों तो कृपया फोन करें : +91-11-48 85 85 85 या हमें लिखें info@gaudiumiumivfcentre.com / inquiry@gaudiumivfcentre.com