गोडियम आई.वी.एफ.-दिल्ली का सबसे अच्छा

दिल्ली में आई.वी.एफ. ट्रीटमैंट बांझ दम्पतियों के लिए एक नई उम्मीद लाता है। ऐसा अनुमान है कि लगभग 6 मिलियन बच्चे पूरे विश्व में 1978 में पहले ढ्ढङ्कस्न बच्चे से लेकर अब तक जन्म ले चुके हैं। गोडियम आई.वी.एफ. केन्द्र भारत में विश्वसनीय IVF केन्द्र है जिसमें 30 से अधिक देशों में अब तक 7600 से ऊपर IVF बच्चों का जन्म हो चुका है।

IVF ट्रीटमैंट प्लांट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें स्त्री के गर्भकोष को दवाइयों द्वारा कई तैयार अंडे पैदा करने के लिए उत्तेजित किया जाता है। एक बार जब तैयार हो गए, तब अंडों को सुधारा जाता है और प्रयोगशाला में प्लेट में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। तैयार भ्रूण को 3 से 5 दिनों तक भ्रूण विशेषज्ञों द्वारा गहन निरीक्षण में रखा जाता है। अंतिम पड़ाव है भ्रूण का स्थानान्तरण जिसमें गर्भधारण के लिए एक अथवा अधिक भ्रूणों को रोगी के गर्भकोष में रख दिया जाता है।

गोडियम आई.वी.एफ. ने मीलों की दूरी तय की, दिल्ली का सर्वोत्तम IVF इलाज

  • 2009 से लेकर अब तक 7600 से अधिक प्रसव।
  • अनूठी 75 प्रतिशत सफलता की दर पिछले असफल ढ्ढङ्कस्न केसों में।
  • 3 IVF चक्करों में 90 प्रतिशत सफलता की दर।
  • 40 वर्ष से अधिक आयु वाले 55 प्रतिशत रोगियों को लाजवाब सफलता।

आज दिल्ली का गोडियम IVF विश्वसनीय IVF केन्द्रों में से एक है, जहां पूरे विश्व से आए जनन रोगियों ने अपना स्वयं का बच्चा होने के सपने को साकार कर लिया है। गोडियम द्वारा किए गए सफल इलाजों में से कई इलाज काफी खतरनाक थे, जो अन्य केन्द्रों द्वारा छोड़ दिए गए थे।

इसकी स्थापना से पूर्व, स्टैंडर्ड IVF ट्रीटमैंट कई आधुनिकताओं का साक्षी रहा है, जिसमें बांझपन की कुछेक ऐसी परिस्थितियां जो कभी किसी समय में असम्भव अनुभव होती थीं, को समाप्त करने के लिए डाक्टरों की सहायता करता है। Gaudium IVF केन्द्र दिल्ली में 9 पूरी तरह उपकरण-युक्त केन्द्रों में निम्नलिखित IVF ट्रीटमैंट देते हैं।

  • स्टैंडर्ड IVF ट्रीटमैंट (ऊपर लिखित)
  • कई प्रकार के नर बांझपन के दम्पतियों के लिए IVF-ICSI
  • दान किए अंडों के साथ IVF, उन औरतों के लिए जिनके अंडे अच्छे न हों।
  • शुक्राणु दानी के साथ IVF
  • उस स्त्री के लिए IVF जो गर्भधारण न कर सके।

दिल्ली में ढ्ढङ्कस्न ट्रीटमैंट के लिए निर्देश - गोडियम आई.वी.एफ. केन्द्र

  • खराब अथवा अवरोध वाली फैलोपियन नलियां
  • एंडोमैट्रायोसिस
  • PCOS (पालीसिस्टिक ओवरियन सिण्ड्रोम)
  • निरंतर गर्भपात।
  • मां की बढ़ती आयु
  • नर बांझपन
  • बयां न होने वाली बांझपन की स्थिति
  • किसी एक सहभागी में वंशज विकार

एक IVF प्रक्रिया

एक स्टैंडर्ड IVF प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं-
अंडकोष को उत्तेजित करना (Ovarian Stimutation)

एक साधारण अंडकोष चक्कर में, स्त्री के अंडकोष द्वारा प्रति माह एक तैयार अंडा छोड़ा जाता है। दिल्ली में आपके IVF ट्रीटमैंट के अवसर को सफल बनाने के लिए आपके डाक्टर को कई तैयार अंडों की आवश्यकता होती है। ऐसा अंडकोष को तैयार करके किया जाता है जहां आपके प्राकृतिक अंडोत्सर्ग चक्कर को दबा दिया जाता है और आपका अंडकोष, खाने वाली दवाइयों अथवा FSH (Follicle Stimultong Hormon) द्वारा बड़ी संख्या में अंडे उत्पन्न करता है।

इस प्रक्रिया को करने में लगभग दो सप्ताह लग जाते हैं, इस समय के दौरान Follicles (छोटी-चोटी गांठें जिनमें प्रत्येक में एक अंडा होता है) की वृद्धि को रक्त की जांच करके और अल्ट्रासाऊंड स्कैनिंग द्वारा देखा जा सकता है।

अंडे में सुधार

अल्ट्रासाऊंड करने के साथ एक पतली सूई का प्रयोग करके तैयार अंडों को अंडकोष में से हटा लिया जाता है। अंडे का सुधार एक साधारण विधि है जिसमें सुन्न करने की कारूरत नहीं होती। यह सुधार के लिए रखे गए अंडों की गिनती पर निर्भर करता है और इसमें 25-30 मिनट का समय लगता है और इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका डाक्टर कितनी जल्दी उन अंडों तक पहुंच सकता है। उनका लक्ष्य 5-12 अंडे प्राप्त करने का होता है। आपको थोड़ा बहुत असहज अनुभव होगा जब बेहोशी खत्म हो जाती है। आवश्यकता होने पर एक साधारण दर्द निवारक दी जा सकती है।

शुक्राणु सुधार व तैयारी

अंडा सुधार वाले दिन ही आपके सहभागी के वीर्य का नमूना लिया जाता है जिसमें से गतिशील शुक्राणु अलग कर लिए जाते हैं। उसके बाद इनसैमीनेशन के लिए शुक्राणुओं को धोकर तैयार किया जाता है।

अगर जमे हुए शुक्राणु प्रयोग किए जाएं तो पहले उनको किसी एक निश्चित तापमान तक पिघला दिया जाता है। यह तापमान इनसैमीनेशन के लिए आदर्श होना चाहिए।

निषेचन

IVF ट्रीटमैंट चक्कर के दौरान, शुक्राणु और अंडों को निषेचन के लिए लैब डिश में रखा जाता है। एक ICSI चक्कर के दौरान, एक अकेले शुक्राणु को एक अकेले अंडे में डाल दिया जाता है और फिर रात के लिए मशीन में रख दिया जाता है। तैयार भ्रूण को प्रयोगशाला में और वृद्धि के लिए रख दिया जाता है जब तक उसे गर्भकोष में रखने के लिए तैयार न कर लिया जाए।

इस समय के दौरान आपको आपकी एंड्रोमैट्रीयल रिसैप्टीविटी भाव भ्रूण को ग्रहण करने के लिए आपके गर्भाश्य को तैयार करना, बढ़ाने के लिए दवाइयां दी जाती हैं।

भ्रूण स्थापना

गोडियम आई.वी.एफ. केन्द्र में हम भ्रूण हस्तांतरण के दो चरणों की बात करते हैं।

  • दूसरा व तीसरा दिन (Cleavage Stage) में स्थापना, यह तब लाभदायक है जब सारे भ्रूण Blastocyst स्टेज तक नहीं पहुंच सकते, तब सिर्फ 1-2 भ्रूण ही स्थापना के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  • दन चौथा व पांचवां (Blastocyst Stage) स्थापना जब काफी मात्रा में स्थापित करने के लिए भ्रूणों की प्रतीक्षा की जाती है और 5 दिनों के बाद आपका डाक्टर स्थापित करने के लिए सर्वोत्तम भ्रूण चुनता है।

स्थापना वाले दिन एक नरम, लचकदार नली जिसे एक खास सलाई कहा जाता है, का प्रयोग कर चुने हुए भ्रूण को गर्भकोष में रख दिया जाता है। भ्रूण की स्थापना की विधि साधारण है और इसके लिए बेहोशी करने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें 5-10 मिनट लगते हैं और शीघ्र ही रोगी घर जा सकता है।

दो सप्ताह की प्रतीक्षा

भ्रूण स्थापना के बाद 12-14 दिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है जब यह पता लगाना हो कि भ्रूण आरोपण हो गया है अथवा नहीं। भ्रूण स्वयं गर्भकोष से ठीक जुड़ गया है अथवा नहीं, गर्भधारण की जांच की जाती है।

Gaudium IVF केन्द्र के साथ हम आपको दिल्ली में बढिय़ा IVF ट्रीटमैंट उचित दाम पर देने का विश्वास दिलवाते हैं। हमारे जनन माहिर, एक अन्य माहिर डा. मनिका खन्ना के साथ मिलकर आधुनिक IVF और बांझपन का इलाज करने के लिए भारत में चार दर्शकों से अधिक समय से अनुभव प्राप्त करते आ रहे हैं।

यदि आप अच्छी गुणवत्ता की जनन रक्षा की खोज में भारत में किसी बढिय़ा IVF केन्द्र को खोज रहे हों तो कृपया फोन करें :+91-11-48 85 85 85 या हमें लिखें info@gaudiumiumivfcentre.in