अंडोत्सर्ग की स्थापना

अण्डोत्सर्ग स्थापना (०१) अण्डोत्सर्ग से अभ्रिप्राय आपके अण्डकोष में से प्रति माह एक अण्डे का निकलना है। अगर अण्डा शुक्राणु के साथ निषेचित हो जाये तो आपकी आने वाली माहवारी रुक जाएगी, जो दर्शाती है कि आपने सफलतापूर्वक गर्भधारण कर लिया है।

काफी बड़ी संख्या में स्त्री बांझपन के लिए अण्डोत्सर्ग चक्र संबंधी समस्याएं मुख्य हैं। अनियमित अथवा अण्डोत्सर्ग के न होने से औरत का माहवारी चक्र अव्यवस्थित हो जाता है। इससे उसकी जनन क्षमता प्रभावित होती है, इससे लगातार गर्भधारण की समस्या होती है। जिस स्त्री में हारमोन संबंधी दोष हों जैसे थायरायड संबंधी विकार अथवा पालीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS) तो उसे अक्सर असफल अण्डोत्सर्ग की समस्या आती है। अन्य तत्व जो आपके अण्डोत्सर्ग चक्र को प्रभावित करते हैं वे हैं-भार का बदलना (कम, अधिक होना), भावुक तनाव और समय से पूर्व अण्डोत्सर्ग का असफल होना।

अण्डोत्सर्ग की स्थापना : एक प्रक्रिया

अण्डोत्सर्ग स्थापना की प्रक्रिया आपके अण्डकोष द्वारा अण्डे छोडऩे के लिए तैयार करने की प्रक्रिया है। इसे पानी वाली दवाइयों अथवा शरीर के अन्दर डाली जाने वाली दवाइयों द्वारा किया जा सकता है। समय पर संसर्ग क्रिया के साथ जोड़ कर, इस चिकित्सा द्वारा गर्भधारण के अवसर को बढ़ाया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, आपके जनन डाक्टर द्वारा आपको प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करवाने में प्रयास करना ही अण्डोत्सर्ग स्थापना कहलाता है।

इसे निम्नलिखित परिस्थितियों में किसी एक विधि में किया जा सकता है-

  • पीने वाली दवाइयां (Clomiphene Citrate) Follicle Stimulating Hormone (FSH) के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अथवा
  • FSH टीके आपके अण्डकोष को अधिक अण्डे छोडऩे के लिए तैयार करने के लिए।

अण्डोत्सर्ग स्थापना प्रक्रिया करवाने से पूर्व आपका जनन डाक्टर आपके हार्मोन स्तर को ज्ञात करने के लिए आपके खून की जांच करवाएगा और योनि की अन्दर से अल्ट्रासाउंड करवाकर आपके अण्डकोष और गर्भकोष के स्वास्थ्य का पता लगाएगा।

अण्डोत्सर्ग की स्थापना एवं योनि के अन्दर आरोपण (ovulation induction and intra uterine insemination IUI)

कुछेक परिस्थितियों में आपका जनन चिकित्सक IUI को अण्डोत्सर्ग स्थापना के साथ जोडक़र करवाने की सलाह देगा। IUI यह सुनिश्चित बनाने में सहायता करता है कि आपके सहभागी की तरफ से लिया गया शुक्राणु गर्भकोष में उपस्थित है, जब आप अण्डा छोडऩे वाले हो।

IUI को अक्सर करवाया जाता है जब-

  • समय पर दवाइयां लेने के बावजूद भी गर्भधारण में सफलता न मिले
  • बांझपन के कारण का ज्ञात न होने बयां न होने वाली बांझपन की स्थिति।
  • नर संबंधी बांझपन के इलाज की पहली कड़ी के तौर पर।

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